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सफेद बैंगन की खेती

मई-जून में करें इस बैगन की खेती मिलेगा कम समय में मोटा मुनाफा

मई-जून में करें इस बैगन की खेती मिलेगा कम समय में मोटा मुनाफा

रबी सीजन की गेंहू आदि फसलों की कटाई का समय चल रहा है। किसान अब इसके बाद जायद की विभिन्न प्रकार की फसलों की बुवाई की तैयारी में जुटेंगे। इसलिए आज हम इस सीजन में की जाने वाली बैगन की खेती की जानकारी प्रदान करेंगे। 

भारत में अधिकांश किसान भाई केवल नीले, गुलाबी और हरे रंग के बैगनों को ही जानते हैं । परंतु, क्या आपने कभी दूध की भांति श्वेत यानी सफेद बैगन के विषय में भी सुना है। 

सफेद बैंगन दिखने में पूर्णतय अंडे जैसा नजर आता है। वर्तमान में इस बैगन की बाजार में मांग बढ़ रही है। भारत के अतिरिक्त विदेशों में भी सफेद बैंगन की मांग में काफी उछाल आ रहा है। 

बैंगन की यह एक ऐसी किस्म है, जिसकी खेती करके किसान भाई बंपर कमाई कर सकते हैं। किसान भाई इसका हर मौसम में सालभर उत्पादन कर सकते हैं। 

सफेद बैगन की खेती से कम समय में मोटी आय 

बैंगन की इस किस्म की खेती के लिए सबसे बेहतरीन वक्त फरवरी और मार्च को माना जाता है। किसान फरवरी के समापन से लेकर मार्च की शुरुआत तक इसकी बुवाई कर सकते हैं।

हालांकि, भारत के अंदर बहुत सारे ऐसे इलाके भी हैं, जहां सफेद बैंगन की बुवाई दिसंबर माह में की जाती है। जून-जुलाई के महीनों में सफेद बैंगन पूर्ण रूप से तैयार हो जाते हैं। 

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इनको आसानी से बाजार में बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है। किसानों के लिए कम समय में अधिक आमदनी के लिए सफेद बैंगन की खेती एक शानदार विकल्प है।

किसान भाई इस तरह करें सफेद बैंगन की बुवाई

बैंगन की इस प्रजाति की बुवाई करने से पूर्व आपको क्यारी तैयार कर लेनी चाहिए। आपको तकरीबन डेढ़ मीटर लंबी और 3 मीटर चौड़ी क्यारी को बनाकर तैयार कर लेना चाहिए। 

इसके बाद आपको मिट्टी को भुरभुरा कर लेना है। अब आपको हर एक क्यारी में तकरीबन 200 से 250 ग्राम डीएपी को डाल देना है। क्यारी में डीएपी डालने के पश्चात एक कतार खींचकर इसमें सफेद बैंगन के बीजों की बुवाई करनी है। इसके बाद कुछ ही दिनों में आपको पौधे निकलते हुए नजर आने लगेंगे।

बैगन का सर्वाधिक उत्पादन कहाँ होता है ?

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारत में सफेद बैंगन की खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे बहुत सारे राज्यों में की जाती है। परंतु, इसकी सर्वाधिक खेती जम्मू में देखने को मिलती है। 

भारत के भिन्न-भिन्न राज्यों में सफेद बैंगन की खेती के लिए अधिकाँश किसान जम्मू से ही बीज लाकर इसकी खेती करते हैं। जम्मू के अतिरिक्त देश के बाकी राज्यों में सफेद बैंगन की खेती काफी कम होती है। 

बतादें, कि बैगनी या काले रंग के बैंगने से ज्यादा पौष्टिक तत्व सफेद बैंगन में विघमान होते हैं। बाजारों में इसकी काफी मांग बढ़ने के पीछे लगता है यही कारण है। 

सफेद बैंगन की खेती से किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा मिलता है

सफेद बैंगन की खेती से किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा मिलता है

अगर आप सफेद बैंगन की बिजाई करते हैं, तो इसके तुरंत उपरांत फसल में सिंचाई का कार्य कर देना चाहिए। इसकी खेती के लिये अधिक जल की जरुरत नहीं पड़ती। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि प्रत्येक क्षेत्र में लोग लाभ उठाने वाला कार्य कर रहे हैं। 

उसी प्रकार खेती-किसानी के क्षेत्र में भी वर्तमान में किसान ऐसी फसलों का पैदावार कर रहे हैं। जिन फसलों की बाजार में मांग अधिक हो और जो उन्हें उनके खर्चा की तुलना में अच्छा मुनाफा प्रदान कर सकें। 

सफेद बैंगन भी ऐसी ही एक सब्जी है, जिसमें किसानों को मोटा मुनाफा अर्जित हो रहा है। काले बैंगन की तुलनात्मक इस बैंगन की पैदावार भी अधिक होती है। 

साथ ही, बाजार में इसका भाव भी काफी अधिक मिल पाता है। सबसे मुख्य बात यह है, कि बैंगन की यह प्रजाति प्राकृतिक नहीं है। इसे कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के माध्यम से विकसित किया है।

बैंगन की खेती कब और कैसे होती है

सामान्यतः सफेद बैंगन की खेती ठण्ड के दिनों में होती है। परंतु, आजकल इसे टेक्नोलॉजी द्वारा गर्मियों में भी उगाया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सफेद बैंगन की दो किस्में- पूसा सफेद बैंगन-1 और पूसा हरा बैंगन-1 को विकसित किया है। 

सफेद बैंगन की यह किस्में परंपरागत बैंगन की फसल की तुलना में अतिशीघ्र पककर तैयार हो जाती है। बतादें, कि इसका उत्पादन करने हेतु सबसे पहले इसके बीजों को ग्रीनहाउस में संरक्षित हॉटबेड़ में दबाकर रखा जाता है। 

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साथ ही, इसके उपरांत इसकी बिजाई से पूर्व बीजों का बीजोपचार करना पड़ता है। ऐसा करने से फसल में बीमारियों की आशंका समाप्त हो जाती है। 

बीजों के अंकुरण तक बीजों को जल एवं खाद के माध्यम से पोषण दिया जाता है और पौधा तैयार होने के उपरांत सफेद बैंगन की बिजाई कर दी जाती है। यदि अत्यधिक पैदावार चाहिए तो सफेद बैंगन की बिजाई सदैव पंक्तियों में ही करनी चाहिए।

सफेद बैंगन की खेती बड़ी सहजता से कर सकते हैं

जानकारी के लिए बतादें कि सफेद बैंगन की रोपाई यदि आप करते हैं, तो इसके शीघ्र उपरांत फसल में सिंचाई का कार्य कर देना चाहिए। इसकी खेती के लिये अत्यधिक जल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। 

यही कारण है, कि टपक सिंचाई विधि के माध्यम से इसकी खेती के लिए जल की जरूरत बड़े आराम से पूरी हो सकती है। हालांकि, मृदा में नमी को स्थाई रखने के लिये वक्त-वक्त पर आप सिंचाई करते रहें। 

सफेद बैंगन की पैदावार को बढ़ाने के लिए जैविक खाद अथवा जीवामृत का इस्तेमाल करना अच्छा होता है। जानकारी के लिए बतादें, कि इससे बेहतरीन पैदावार मिलने में बेहद सहयोग मिल जाता है। 

इस फसल को कीड़े एवं रोगों से बचाने के लिये नीम से निर्मित जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बैंगन की फसल 70-90 दिन के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है।